निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार। निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार।
हरने को आतुर दुख, न चाह है ना राह, बस एक पनाह है। हरने को आतुर दुख, न चाह है ना राह, बस एक पनाह है।
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
छिपा लेते हैं गम अपना नमी आंखों में रह्ती है. छिपा लेते हैं गम अपना नमी आंखों में रह्ती है.
सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा, मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!! सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा, मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!!